Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 22
अपडेट 22
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जय अपने रुम मे जाकर फ्रेश हो गया और बैठ गया । उस के सामने एक टी.वी सेट था। आज कइ साल हो गये थे उसे टी.वी. देखे हुये। वैसे जैल मे कभी कभी दिखाते थे लेकिन जय कभी देखने गया ही नही था। रीमोट से जय ने टी.वी. ओन किया और चेनल बदलने लगा। एक स्पोर्ट्स की चेनल पर पहुच गया जहा पर इंडिया-बांग्लादेश ढाका की दुसरी टेस्ट मेच चल रही थी। इंडिया की पहली इनिंग्स की 110 वी ओवर चल रही थी। कप्तान धोनी और बोलर इशांत शर्मा बेटिंग कर रहे थे। धोनी को जय पहलीबार खेलते हुवे देख रहा था। आराम से वो फास्ट बेटिंग कर रहा था। ओवर खत्म हुइ और स्क्रिन पर पुरा स्कोरबोर्ड आया तब जय को पता चला की जब वो जैल मे गया था उस समय के राहुल द्रविड, सचिन तेंडुलकर, लक्ष्मन जैसे अनुभवी खिलाडी अभी भी खेल रहे है। जय खास कर के सचिन का दिवाना था। इसिलिये वो क्रिकेट मेच मे खो गया। स्कोरबोर्ड देखकर जय थोडा सा निराश जरुर हुवा क्युकी उस का चहिता सचिन 143 रन बनाकर आउट हो चुका था। और जय अपने जमाने मे खो गया।
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जय ने बारहवी कक्षा पास कर ली थी लेकिन वो एक बडा क्रिकेटर बनना चाहता था। बचपन से क्रिकेट मे उसे ज्यादा दिलचश्पी थी। अब जुनागढ मे क्रिकेट के ऐसे मैदान कहा? फिर भी उसे जो सुविधा मिली उन से खेलना जारी रखा था। एक दिन इन्टर स्कुल क्रिकेट टुर्नामेंट महात्मा गान्धी के जन्मस्थान पोरबंदर मे चल रही थी। उस मैदान मे आज भी कंकर ज्यादा है मिट्टी कम। वो पिच ज्यादा खतरनाक थी। राजकोट और जुनगढ की स्कुल सेमी फाइनल खेल रही थी तब जय 13 साल का था। जय 5 वे क्रम पर बेटिंग करने आया। राजकोट की टिम ने 25 ओवर्स मे 82 रन्स किये थे और जुनागढ की टिम के 13 रन्स पर 5 विकेट गीर चुके थे। और 15 रन पर छटा विकेट भी गीरा। अभी जितने के लिये 102 गेन्द पर 68 रन्स बाकी थे।
जय का एक फेवरिट स्ट्रोक था और राइट हेंडेड बेट्समेन था। कोइ भी गेन्द चाहे कितनी भी फास्ट हो या स्पिन वो दो स्टेप आगे आकर घुटनो पर बैठकर बल्ला को गेन्द के पिछे लाकर कवर और एक्स्ट्रा कवर के बीच मे पुश कर देता था। कलाइयो के सहारे वो कन्धे का जोर बेट के पिछे लाता था और ये शोट इतनी बेहतरीन तरीके से वो खेल लेता था की चाहे कितने भी फिल्डर्स ओफ साइड पर हो बोल सीधी बीच से निकालकर वो बाउंड्री निकाल लेता था।
ये मैदान पथ्थरो से बना हुवा था। जय जानता था की कोइ भी फिल्डर यहा अपने शरीर को मैदान पर फिसलने नही देगा वरना इन्जर्ड होना पक्का था। और जय ने धीरे धीरे ग्राउन्ड शोट्स मारने शुरु किये। कोइ भी बोल जय ने उपर से खेलने से अपने आप को रोके रखा। ज्यादा स्ट्राइक वो अपने पास रखने लगा। केवल 13 साल की उम्र मे जय ने मेच्योरिटी दिखाकर 25 वी ओवर्स मे ही 3 विकेट से अपने टीम को मेच जीता दिया। जय ने 52 नोटआउट रन्स बनाये। सीलेक्टर के रुप मे वहा नेशनल लेवल के खिलाडी मौजुद थे। उन की नजरो मे जय बस गया और जय की क्रिकेट की यात्रा शुरु हो गइ। बारहवी मे जय को ज्यादा मार्क्स नही आये और अब उस का ध्येय सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट बन गया। जुनागढ की बहाउद्दिन कोलेज मे आसानी से जय को कोमर्स या आर्ट्स मे प्रवेश मिलना तय था।जब की राजेश्वरीदेवी उसे उन के पापा की तरह सायन्स मे पढाना चाहती थी। जो जय को उस कोलेज मे एड्मिशन मिलना मुश्किल था। डोनेशन सिस्टम गुजरात मे पुरी और बुरी तरह फैल चुकी थी। पैसे जय के पास बिल्कुल नही थे। क्युकी जो गुजरा था उस के बाद राजेश्वरीदेवी ने ब्राहमिन काम सम्भाला था और उसी मे से ही गुजारा चलता था।
और एक चमत्कार हुवा, स्वामी रामानंद क्रुत समाधि ट्रस्ट एक ऐसा ट्रस्ट था जहा धार्मिक वातावरन वाले फेमिली या उज्ज्वल भविष्य हो ऐसे स्टुडेंट्स के लिये अगर उस के पढने पर असर हो तो उन के लिये खास एक कोलेज का निर्माण किया गया था। जो नागपुर, महाराष्ट्र मे राजकुमार कोलेज और प्रिंन्स विजयराजसिन्ह जी कोलेज के नाम से मशहुर था। ये दोनो कोलेज रामानंद स्वामी की समाधी ट्र्स्ट संचालित कोलेज थे।
दोनो कोलेज थे एक ही ट्रस्ट के लेकिन दोनो के प्रिन्सिपाल के बीच बिल्कुल नही जमती थी। दोनो कोलेज को मिलाकर एक युनिवर्सिटी ‘रामानंद युनिवर्सिटी’ नाम दिया गया था। देश विदेश मे वो मश्हुर युनिवर्सिटी थी। उन की कोलेज मे एडमिशन मिलना गौरव की बात थी। वो इसिलिये क्युकी जिस विषय मे आप इंटरेस्ट रखते है या आप की काबेलियत हो उसी विषय मे फिजिकली, मेन्टली सिर्फ मौखिक टेस्ट लेकर एडमिशन दिया जाता था। पढाइ ऐसे होती थी की किसी को एक्जाम का डर ही नही होता था।
सायन्स मे एड्मिशन के लिये जय को भी चेलेंज मिला की उसे क्रिकेट मे कुछ कर दिखाना होगा। यहा सब स्पोर्ट्स और सांस्क्रुतिक कार्यक्रम ज्यादा होते थे। साथ साथ पढाइ इस खुबसुरत तरीके से होती थी की कीसी को परिक्षा का कभी डर मेहसुस नही होता था। सब गेम्स के नेशनल लेवल के कोचीस यहा बुलाये जाते क्युकी यहा से भारतीय हीरे मिलने के ज्यादा चांसेस थे। जय के लिये ये एक सुनहरा मौका था।
सप्टेम्बर मे पहली क्रिकेट टुर्नामेंट का आयोजन हुवा और आस पास के जिले की युनिवर्सीटीज के बीच कुल मिलाकर 32 टिम ने हिस्सा लिया। रामानंद युनिवर्सिटी का ये नियम था की सिनियर खिलाडी चाहे उस की पढाइ शुरु हो या खत्म हो गइ हो लेकिन अगर वो चाहे तो ऐसे तीन सिनियर खिलाडियो को टिम का हिस्सा बन ने का मौका दिया जाता था। मतलब तीन ऐसे खिलाडी जो इस जगह पढ चुके हो और बाकी के रेग्युलर पढनेवाले विध्यार्थी।
इस बार जय को पोलिटिक्स बीच मे आ गया और 12 वा खिलाडी बनकर रह गया। टिम की कोच एक सिनियर लडकी थी ‘मिस निशी सेन’ जो बहुत ही खतरनाक लडकी थी। गालिया उस की जुबान पर रहती थी। वो नेशनल लेवल तक खेल चुकी थी और उसे इंडियन वीमेंस क्रिकेट टिम मे स्थान मिलना तय था किंतु क्या हुवा वो किसी को पता नही था लेकिन उसे टिम से सस्पेन्ड कर दिया था। शराब और सिगरेट की शौकिन निशी का सब से अजिज दोस्त था ‘साजन’।
यहा जो भी स्टुडेन्ट थे वो कीसी ना कीसी मजबुरी की वजह से थे। जैसे निशी पढने मे बिल्कुल जीरो थी और उस के अपने पिताजी से बहुत कम बनती थी तो उस के पिताजी ने पोलिटिकल कोंटेक्ट्स से निशी का दाखिला आर्ट्स फेकल्टी मे यहा करवा दिया था। निशी अपने क्रिकेट की वजह से विमेन्स क्रिकेट टीम की कप्तान और बोयज और गर्ल्स टीम की कोच बन चुकी थी।
सारे स्टुडेंट्स मे सिर्फ एक साजन ही ऐसा स्टुडंट था जिस की न तो कोइ मजबुरी थी और न कोइ ऐसा हुन्नर जिस की वजह से उस की पढाइ मे कोइ रुकावट आये क्युकी साजन के शौख थे शायरी, शराब और सुन्दरी। उस के पिताजी जयपुर के मेयर थे और स्वामी रामानंद के ट्रस्ट के आंतरराष्ट्रिय लेवल पे वो ट्रस्टी थे। और सिर्फ इतनी वजह से साजन के लिये तो ये कोलेज उस के बाप की कोलेज थी। साजन के सामने बोलने की कीसी की भी हिम्मत नही होती थी। निशी और साजन एक ही शहर के थे और दोनो के बापो मे दोस्ती थी। वैसे निशी थी बेंगाली लेकिन बरसो से उन के बापदादाओ ने राजस्थान मे डेरा डाला हुवा था। दोनो के पिताजी के पास इतनी सम्पति थी की न ही उन दोनो को पैसो की चिंता थी और न ही तो कुछ आगे कर ने की।
क्रिकेट टुर्नामेंट के दौरान निशी की गाली बोलने की वजह से अच्छे अच्छे खिलाडियो ने उन के मार्गदर्शन मे खेलने से बहिष्कार कर दिया और कप्तान घायल हो गया था। अगर ये मेच गया तो उस की टिम सेमीफाइनल तक भी नही पहुच सकती थी। लेकिन ये निशी थी ‘बेंगोली टाइग्रेस’ वो जुकी नही और उस ने बोला मै खुद स्पिन डालती हु प्रेक्टिस मे जिस को आना हो चले आओ और जय प्रेक्टिस मे चला गया। लगातार तीन घंटे की प्रेक्टिस मे जय ने निशी की स्पिन और एक फास्ट बोलर के आगे जमकर बेटिंग की।
और जय को चान्स मिला और उसे टिम मे शामिल किया गया। चन्दिगढ की टिम के सामने सेमिफाइनल मे उस की टिम दुसरी इन्निंग्स पर रन चेज करने आइ और जब जय मैदान पर उतरा तब सामने स्पिन बोलर था ‘रवि कपूर’। पहली ही ओवर मे जय को पता चल गया की क्यु निशी ने खुद की बोलिंग पर ज्यादा प्रेक्टिश करवाइ थी। निशी और रवि दोनो की स्पिन बोलिंग स्टाइल एक जैसी ही थी। वो तो बाद मे जय को पता चला की दोनो ने एक ही जगह साथ मे ट्रैनिंग ली थी और रवि आगे नीकल गया और निशी को सस्पेंन्ड किया गया था। शायद निशी की सस्पेंशन का कारन ही रवि था।
जय लगातार सामने के छौड पर खेलता रहा जब की सामने विकेट गिरती गइ। आखिर मे उस की टिम सेमिफाइनल मे पहुच ही गइ। केप्टन ने ज्यादा रन बनाये थे और जय ने नाबाद केवल 46 रन लेकिन पुरी 111 बोल्स खेली थी जय ने। जीत के साथ जय का एडमिशन तो पक्का हो ही गया था। लेकिन केप्टन और जय जब इन्निंग्स समाप्त कर के पेवेलियन लौट रहे थे तब निशी जय के करीब आइ और कहा,”जय, आइ एम इम्प्रेस्ड।“
जय,”थेंक यु मेम”
और वहा खडे सब के सब जोर से हस दिये। साजन तो बोला भी,”साली तु कब से मेम बन गइ”
निशी भी हसती रही और बोल उठी,"यार जय मै इतनी भी बुढ्ढी नही हु की मेम बन जाउ, वी आर जस्ट फ्रेंड्स और याद रखो मै सिर्फ उसे ही फ्रेंड बनाती हु जिसे मेरा दिल चाहे”।
सेमिफाइनल मे भी जय ने शानदार प्रदर्शन किया और आज फाइनल था। सामने बोम्बे की टिम जिस मे 4 फास्ट बोलर्स, 3 स्पिनर्स, 8 बेट्समेन से बनी हुइ संतुलित टिम थी। बोम्बे ने 30 ओवर्स मे 266 रनो का विशाल स्कोर खडा किया और जवाब मे जय की टिम के कप्तान ने केवल 40 बोल्स पर 82 रनो की धुआधार पारी खेली और अचानक जय पिच पर ही था और कप्तान रन आउट हुवा। आगे भी विकेट गिरते रहे और 9 विकेट गीर गये और अभी भी 7 ओवर्स मे 99 रन बनाने थे।
अब जय ने खेल बदल दिया। हर ओवर की आखरी गेन्द पर सिंगल ले लेता था ता की स्ट्राइक उन के पास रहे और ओवर्स की बाकी 5 बोल्स पर एटेक करता रहा। इस पिच पर उस का खास शोट उस ने बेहतरीन तरीके से आजमाना शुरु कर दिया। इन्निंग्स की आखरी बोल पर चौक्का लगाकर जय ने टिम को चेम्पियन बना दिया जब की खुद का स्कोर केवल 67 बोल्स पर 127 रन था। ये जय की लाइफ की सब से फास्ट सेंच्युरी थी।
चेम्पियन पार्टी के वक़्त दोस्तो ने जय के फेवरिट शोट को ‘सेक्सी शोट’ नाम दिया और जय को पुरे नाम ‘जय किशोरीलाल पुरोहित’ मे से शोर्ट नेम ‘जेकी’ दिया गया। जब की निशी ने इम्प्रेस होकर जय को एक और नाम दिया ‘वन मेन आर्मी’ क्युकी आखरी 7 ओवर्स की सारी बोल्स जय ने अकेले खेली थी और इस तरह खेलना कोइ मामुली बात नही थी। इस मेच के बाद निशी, साजन और जय पक्के दोस्त बन गये।
और दोस्तो मे जय भी शामिल कर दिया गया। अब ये वो कोलेज था जहा शराब और सिगरेट का दौर आम बात थी। जय बिल्कुल अकेला पड गया था। यहा तो बात गाली से शुरु होती थी और खत्म भी गाली से। बातो बातो मे दोस्तो मा बाप को भी गालिया देते थे और बिस्तर तक भी पहुच जाते थे। जय एक पवित्र वातावरन मे पला बडा हुवा था। उसे न तो गाली बोलने की आदत थी और न तो सुन ने की। उसे बडा अजिब लगता था की ये कोलेज है या गन्दगी सिखने की संस्था!
साजन लडकियो का शौखीन था और कभी कभी कइ दिनो के लिये कोलेज से गायब जो जाता था। निशी दिल की बुरी नही थी लेकिन जय के सिक्स्थ सेंन्स ने समज लिया था की कोइ तो बात है जो निशी ने दिल मे उतार रखी है और उसे लडको जैसा व्यवहार करने के लिये प्रेरित कर रही है और जिस के बारे मे कोइ कुछ नही जानता था। जय ने कइ बार निशी से जिक्र किया और हर बार निशी बात टाल देती थी और दुसरी बाते शुरु कर देती थी। जय ने साजन को भी पुछा लेकिन साजन केवल अपने निजानंद मे मस्त था।
जय की साजन के साथ असली मुलाकात तब हुइ जब एक दिन अपने रुम न.222 मे बैठा हुवा था और उस का पार्टनर उदयन खाने गया था। जब उदयन वापस आया तब जय खाने के लिये केन्टीन की ओर गया। कोलेज की केन्टीन मे खाना अच्छा मिलता था। जय खाना खाकर वापस केम्पस से चलकर होस्टेल मे वापस आ रहा था। केंटीन और होस्टेल के बीच बडा मैदान क्रोस करना पडता था या फिर रोड पर घुमकर जाया जा सकता था। सब स्टुड्न्ट्स ज्यादातर मैदान क्रोस कर के ही नीकलते थे। जय धीरे धीरे मैदान से होकर वापस आ रहा था जहा बिल्कुल अन्धेरा था। जय धीरे धीरे मैदान से चलकर स्टेडियम जैसा था वहा पहुचा और उसे हसने की और बातचीत की आवाज आइ। पहले तो वो चलता रहा लेकिन कीसी लडकी की सिस्कारिया सुनाइ दी।
लडका होने से स्वभाविक कीसी लडकी की आवाज सुनकर जय उस आवाज की ओर खीचा चला गया। मैदान की चारो ओर ओपन स्टेडियम बनाया गया था और एक पेविलियन जैसा बनाया गया था। आवाज पेविलियन की ओर से आ रही थी। जय चुपचाप दरवाजे तक गया और पीछे जाकर दरवाजे से देखने लगा। पेविलियन के अन्दर स्ट्रीट लाइट का प्रकाश खिडकी से आ रहा थी। जय ने नजारा देखा की एक लडका और एक लडकी को देखा। जो नजारा उस ने देखा उस के पाव कापने लगे। जय का दिमाग शुन्य हो चला। न तो वो वापस मुड पाया और न वो आगे देख पाया। लेकिन बातचीत की आवाज सुनाइ दे रही थी....
लडकी,”अभी नही यार कोइ हमे देख लेगा”।
साजन की आवाज जय ने पहेचान ली जो बोल रहा था,”साला कौन यहा इस वक़्त आयेगा जो मुजे रोकेगा, तु चिंता मत कर देख तुजे जन्नत की सैर करवाता हु।“
लडकी ना ना करती रही और साजन मान नही रहा था। और लडकी हस के बोल उठी,”साजन तु बडा चालु है। लेकिन याद रख मै स्पेशियल हु। ये तो तु है जो मुजे छु सकता है बाकी किसी की मजाल है की मुजे हाथ लगाये।“
साजन,” निशा इसिलिये तो मै तेरे पर मरता हु। तु नही जानती तु क्या चीज है मेरी जान।“
बातचीत से जय को पता चला की साजन के साथ जो लडकी है उस का नाम ‘निशा’ है। और जय की हालत पतली होने लगी। अचानक उस की आंखो के सामने अन्धेरा छाने लगा। चक्कर आने लगे। उसे फिर स्त्री का खुला शरीर दिखाइ देने लगा। जय की सांसे तेज होने लगी और चेहरे पर पसीना छाने लगा। फिर से वो साधु दिखाइ दिये और जय का शरीर अचानक ठंडा पडने लगा और मुह से आवाज निकलने लगी। ये आवाज निशी के कानो तक पहुची और उस ने सहसा कहा,”साजन, कोइ तो है यहा जो हमे देख रहा है।“ लेकिन साजन ने सुना ही नही।
कुछ देर बाद साजन होश मे आया और उस ने देखा की जय आंखे बन्ध कर के अपने हथेलियो से चेहरा नौच रहा है और जय नीचे गीर पडा।
साजन बाहर आया और देखा की जय पसीने से तरबतर हो चुका था। इसी हालत मे साजन ने जय को उठाया और होस्टेल तक ले गये। कुछ ही देर मे साजन की रुम मे दोस्तो की टोली जमा हो गइ।
जय जैसे ही होश मे आया और चेहरा पौछकर खडा हुवा और देखा की आसपास दोस्तो की टोली खडी है। साजन उसे देखते ही हसने लगा और निशी ने पुछा,”क्या हुवा जय?”
जय ने जवाब दिया,”ये मेरे साथ बचपन से होता है.”
निशी,”क्या?”
जय,” मेरी आंखो के सामने अन्धेरा छा जाता है।“
साजन ने जोर से हसते हुये कहा,”कुछ देख के अन्धेरा छा जाता है या ऐसे ही?”
जय कुछ नही बोला और साजन के सामने देखता रहा। उसे समज मे नही आ रहा था की वो क्या बोले? उसे ताज्जुब ये हो रहा था की उल्टा कोइ दुसरा होता तो भाग जाता और यहा साले निशा और साजन दोनो बेशर्मो की तरह वही खडे थे जैसे उन दोनो ने कुछ गलत किया ही न हो।
साजन ने फिर से पुछा,” पहले तु ये बता जय की पेविलियन मे तु क्या कर रहा था?”
जय का गला सुख गया फिर भी बोलने की कोशीश की,” मै...मै.. वो खाना खाने गया था तो वापस आ रहा था।“
साजन फिर से जोर से हस पडा,”साले खाना खाने गया था या वहा जासुसी करने आया था।“
अब निशी बीच मे बोल पडी,” ए साजन, तु चुप बैठ, जय तु बता की वहा क्या करने गया था?”
अब जय से नही रहा गया और बोल दिया,”यार निशी, अजीब है, तुम सब मुजे पुछ रहे हो ये साजन से पुछो ना की वो वहा क्यु गया था और क्या कर रहा था?”
साजन फिर से जोर से हस पडा और बोला,"हा तो सीधे सीधे बता ना, उस मे इतना नाटक करने की क्या जरुरत है? मै तो रोज वहा जाता हु।“
निशी," नही साजन, जय सही बोल रहा है, पहले तु बता तु वहा क्या कर रहा था?"
साजन,"अबे नीशी, मै तो ये निशा को काटा घुस गया था तो वहा निकाल रहा था और ये देखकर जय बेहोश हो गया" और फिर जोर से हस पडा।
अब निशी भी हस पडी और बोली," साला मै जानती हु कौन सा काटा निकालने गया होगा।" फिर जय के सामने देखकर हस पडी और कहा," जय, तु इन बातो मे मत आना ओके ये तो साले का रोज का लफडा है।“
फिर निशी ने निशा के सामने देखकर बायी आंख मारी और गन्दा इशारा किया जिस से निशा भी हस पडी और कह उठी,”यार निशी मै तो योगा कर रही थी और काटा लग गया अब वहा से साजन गुजरा और मेरी चीख सुनकर वो मेरे पास आया और काटा निकालने मे मेरी मदद करने लगा।“
इस बार सब की हसी छुटॅ गइ। जय तो देखता ही रह गय और सोचने लगा की साले कीसी को कोइ भी शर्म नही। जैसे शरीर की भुख यहा मिट्टी के भाव बीकती हो। और वो भी हस पडा,” कमाल है एक को काटा लगा और दुसरा नीकाल रहा था, मुफ्त मे मै मारा गया। कल से रास्ता ही बदल लेता हु यार।“
साजन ने ताली देकर कहा,”नही यार रास्ता जरुर चेंज कर लेना लेकिन चलने का नही जीने का कर ले। दो दिन की ज़िन्दगी, दो दिनो का है मेला, जब कुडियो की है बन्दगी तो दिल क्यु रहे अकेला?” और उस ने निशा को कमर से अपनी ओर खीच लिया। फिर से दोस्तो की हसी फुट पडी।
और जय मुस्कुराता हुवा अपने सिर को नही मे हिलाता हुवा पीछे देखता हुवा अपनी रुम की ओर चल दिया। साजन ने उस का हाथ पकडकर अपनी रुम मे फिर लाकर पुछा,”लेकिन जय तुने ये तो बताया ही नही की क्या देखकर तुजे चककर आ गये थे?”
अब निशी ने एक थप्पड साजन को लगाया और उसे चुप कराया,”स्टोप इट साजन क्यु परेशान करते हो बेचारे को।“
साजन फुट फुट कर हस पडा," बेचारा ?? हा..हा...हा.. साला एक तो छुप छुप कार देखता रहा और उपर से बेचारा?" कमाल है उसे देखकर तो मुजे चक्कर आने चाहिये और यहा तो उल्टा हो गया।“
जय ने अपने हाथ कमर पे रखकर पुछ ही लिया," साजन कुछ शर्म नाम की चीज है या नही?"
साजन फिर से हसता हुवा बोल उठा,"
शर्म से जुकती है सनम की नजर.....शर्म से जुकती है सनम की नजर।
एक हम ही है बेखबर की पहेचनती नही हमे शर्म।
क्युकी शर्म खुदपरेशान है हम से, की न जाने कब चला जाये ये बेशर्म।
अगर चला गया ये बेशरम...अगर चला गया ये बेशरम..दुसरा कौन है जिस से आती है खुद कामदेव को भी शरम।“
सब लडकियो ने भी तालिया बजाकर वाह वाह किया लेकिन निशी ने एक लात लगाकर साजन को बोली,”हरामखोर अपने आप को कामदेव का अवतार मानता है। एक दिन कोइ मिल गइ ना जिस के पिछे दुम हिलाते फिरोगे याद रखना।“
साजन,” ऐसी कोइ बनी ही नही दुनिया मे जो हमे पसन्द करे, हम ही है जिस की पसन्द सारी लडकिया है, क्यु दोस्तो सही कहा ना?”
निशी,"तु चल जय इसे शायरी का नशा चडा है और कही दो घुट पी गया तो अभी घटिया शायरी शुरु कर देगा।“
और दोस्तो की टोली धीरे धीरे विसर्जित हो गइ।
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गर्ल्स और बोयज होस्टेल के बीच एक बडा दरवाजा था लेकिन क्युकी साजन के लिये तो बाप का ही कोलेज था जो कोइ भी साजन को पसन्द आये वो लडका या लडकी आराम से एक दुसरे की होस्टेल या रुम में आ या जा सकते थे। वैसे ये कोलेज और होस्टेल शहर के एक छोड पर हाइ-वे के पास थे। आजुबाजु जंगल जैसा माहोल था। लेकिन यंगस्टर्स के लिये तो ये जन्नत थी।
उस दिन करीब आधे घंटे के बाद निशी जय के रुम पर आइ जब जय पढ रहा था और उस का रुम पार्टनर उदयन एक खुबसुरत पेइंन्टिंग बनाने मे व्यस्त था। निशी आते ही बोली,”चल जय तैयार हो जा हमे घुमने जाना है।“
जय,"यार निशी अभी तो दस बजने को आये, अभी सोने का समय हो जायेगा। आज नही कल चलते है ना, वैसे भी कल संन्डे है।“
निशी,"यार तु चल तो सही तेरा एक जरुरी काम है।"
जय तुरंत नाइटड्रेस के ट्राउजर्स और टी-शर्ट पहन लिया और बाहर निकला। दोनो बाहर आये और जय बोला,”बाकी फ्रेंड्स कहा है?”
निशी कुछ नही बोली और चुपचाप चलती रही। जय के सिक्स्थ सेन्स ने कवर किया और वो रुक गया। निशी कुछ आगे जाकर रुकी और पुछा,”रुक क्यु गये?”
जय,"निशी, आखिर बात क्या है, मुजे अकेले कहा ले जा रही हो?"
निशी हसकर बोली,"क्यु डर लगता है लडकियो से?” और फिर आंखे तेज कर ली।
जय,"दुसरी लडकी होती तो शायद हा कहता, लेकिन जहा तक मै तुम्हे जानता हु, तु ऐसी लडकी नही है, तु तो बेंगोली टाइग्रेस है।"
निशी जोर से हस पडी और बोली,”क्या बोला तुने?”
जय,"बेंगोली टाइग्रेस"।
"हा..हा.हा.. ठीक नाम दिया है तुने मेरे लिये," निशी हस पडी और फिर सीरियस हो गयी और आगे आयी और जय का हाथ पकडा और बोली,"जय, मै यहा अकेली बोर हो रही थी, इसिलिये तुजे बुलाया है, प्लीज थोडी देर वहा बैठते है ना” कहेकर सामने के गार्डन की ग्रीन घास को दिखाया।
जय ने हा बोलकर उस के साथ वहा जाकर दोनो बैठ गये। यहा से दोनो होस्टेल बराबर दिखाइ देती थी। दोनो बिल्कुल सब को दिखाई दे वैसे ही बैठे थे। स्ट्रीट लाइट का प्रकाश ठीक उन दोनो पर पड रहा था वैसे ही दोनो बैठे थे।
जय ने फिर से पुछ लिया,"बाकी के फ्रेंड्स कहा है?”
निशी,”पता नही कौन कहा जाकर क्या कर रहा है, साजन तो पी रहा होगा शायद” इतन कहकर उस ने अपने फेवरीट क्लासिक मेंथोल सिगरेट निकाली और जलाकर एक लम्बा कश खीच लिया और दुसरी जय को ओफर की।
जय,” मै नही पीता।“
निशी,"फोर्स नही करुंगी लेकिन बता देती हु तु एक दिन जरुर शुरु करेगा।"
जय ने हसकर कहा,"देखा जायेगा आगे आगे लेकिन अभी तो नही पीता हु।" कुछ देर तक दोनो चुप बैठे और जय ने पुछा,”क्या बात है निशी?”
निशी कश खीचते हुये बोली,"कुछ नही बस यु ही तेरे साथ बैठ नही सकती क्या?”
"बैठ तो कोइ भी सकता है, लेकिन तु सब को छोडकर यहा मेरे साथ अकेली बैठने नही आयी, जरुर कुछ बात है, बोल दे क्या बात है वरना मै चलता हु”” केह्कर जय उठ खडा हुवा।
निशी ने हाथ पकडकर उसे धकका दिया और फिर से जमीन पर बीठा लिया और बोली,"बडे जिद्दी हो यार, चल बता देटी हु। मुजे ये जान ना है क्या वजह है की तुजे चक्कर आ गया था? क्या सचमुच कोइ बात है या साजन की हरकत देखकर चक्कर आ गया था?”
जय हसने लगा,”साजन की हरकत देखकर मुजे क्यु चक्कर आता भला? लेकिन सच्ची मे मेरे पापा की कसम बस, मुजे ऐसा बचपन से होता है।“
“पापा के बहुत करीब लगते हो?” निशी ने एक और कश खीचते हुये पुछा लेकिन पुछते वक़्त निशी की आंन्खो मे जो दर्द था जिसे वो छुपा नही सकी वो जय की आंखो से छुप नही पाया।
जय ने सिर धीरे से हिलाकर हा कहा और धीरे से बोला,”निशी, जिन्दगी भी अजीब है मेरे पापा का कोइ पता नही और मुजे उस की याद सताती है, लेकिन तेरे पापा करीब है और तु उस के करीब नही।“
निशी अचानक चौक पडी और देखती ही रह गयी फिर उस ने पुछा,”ये तेरे को किस ने बताया की मेरी मेरे पापा से नही बनती है।“
जय हस पडा और बोला,”अभी अभी तुने।“
निशी,”क्या?”
“हा यार मैने तेरी आंखो से पढकर सिर्फ एक अनुमान किया था लेकिन सच तो अभी तुने ही बता दिया” जय ने हसकर बोला।
“ओह नो, तु आदमी है या जादुगर, तु जरुर सायन्स का नही लेकिन सायकोलोजी का स्टुडेंट होना चाहिये था। मन की बात आंखो से ही पढ लेता है” निशी बोल उठी।
“नही, निशी मुजे इश्वर ने कुदरती बक्षिश दी है की अगर कोइ दर्द सामनेवाले के दिल मे हो तो मुजे जरुर नजर आ जाता है” जय ने आकाश की और देखते हुये कहा।
“बडे दिलचश्प इन्सान हो, ठीक है मुजे बताओ ना की असल मे बात क्या थी?” निशी ने फिर पुछ लिया।
“देख निशी तुजे अकेले मै सब बता रहा हु, वहा मै बताता तो शायद कोइ मेरी हसी उडाता। लेकिन प्रोमिस की इसे कीसी ओर को मत कहना” जय ने प्रोमिस मांगा।
“प्रोमिस बस ये बात सिर्फ हम दोनो के बीच ही रहेगी, चल अब बता” निशी ने प्रोमिस किया।
“बचपन से कभी कभी मेरी आंखो के सामने अन्धेरा छा जाता है और फिर कुछ देर मे एक लडकी निर्वस्त्र हालत मे मुजे दिखाइ देती है, पुरी नही लेकिन उपर का हिस्सा दिखाइ देता है। फिर धीरे धीरे एक संत महात्मा दिखाइ देते है और मेरा मन बिल्कुल शांत हो जाता है। कभी कभी मेरी बाइ आंखो के पास की नस दुखती है, जिसे माइग्रेन कहते है। जिस दिन ये होता है, मुजे न ही कोइ आवाज सहन होती है और न ही तो रोशनी सहन कर पाता हु। उस नस पर स्ट्रोक लगते है। आंखो से पानी बहना शुरु हो जाता है। जैसे जैसे दिन आगे बढता है मेरा वैन का दर्द वैन से लेकर आगे बढता हुवा सर तक पहुच जाता है और जब रात की नींद लेता हु और वो भी पुरी तब ही ये दर्द जाता है” जय ने सच्चाइ बतायी।
“कमाल है, लेकिन इसका क्या मतलब है?” निशी ने पुछा।
“पता नही, लेकिन मेरी मा बताती है की मेरा जन्म कोइ खास मक्सद के लिये हुवा है जिस से इस प्रुथ्वी के उध्धार मे मेरे द्वारा कुछ होनेवाला है। मै ये तो नही जानता की क्या होनेवाला है लेकिन मेरी मा बताती है तो मेरे लिये सोने के समान है।“ जय ने मक्कमता से कहा।
फिर जय और निशी के बीच फेमिली की बाते हुइ और निशी को पता चला की जय के पिताजी जय के बचपन से ही गायब है और कीसी को पता नही है की वो कहा है? शायद उस की मा जानती है लेकिन वो बताती नही और जय को इस का कोइ अफसोस नही है।
तब ही साजन और कुछ लडके और लडकिया पिछे से नीकल आये और हसकर जय को पुछा,”साले तु क्या जगत का कल्याण करनेवाला है ये तो बता?”
साजन पुरे नशे मे था और जय का मजाक उडा रहा था। जय नजरे उठाकर हसने लगा और बोला,”साजन ये सब तेरे बस की बाते नही है।“
“ठीक....है..भाइ...लेकिन...ये तेरे...बस..की बात...नही...है....” और साजन ने एक लडकी को बाहो मे भरते हुये कह दिया।
जय हस पडा और खडा हुवा और दो हाथ से साजन के पैर पडा और बोला,”ठीक है कामदेव आप सही हो ये मेरे बस की बात नही है, इसे आप ही सम्भालो” इतना कहकर वो वापस जाने लगा।
“अरे रुठते क्यु हो मेरी जान, तुम आराम से बैठो ना, ऐसे भी निशी को एक तु ही तो मिला है वरना सब के साथ तो लडती फिरती है” साजन ने निशी को छेडते हुवे कहा।
निशी ने एक थप्पड का तोहफा देते हुये कहा,”तो क्या दुसरो की तरह इस वक़्त तेरे साथ फिरु?”
और सब हस पडे।
कुछ भी हो साजन और निशी दोनो लडते जरुर थे लेकिन दोस्ती अतुट थी। उस दिन जय ज्यादा निशी के बारे मे जान नही पाया लेकिन उस ने सोच लिया की वो कभी ना कभी इस के बारे मे निशी से जरुर बात करेगा।
दोस्तो के ग्रुप मे सब की अलग अलग जिन्दगी थी। एक बडा ग्रुप बनता जा रहा था। जय, साजन, निशी, निशा, उदयन जो पैंइंन्टर भी था वो साउथ इंडियन था। मुनिश कुरेशी केमिकल लाइन का स्टुडेंट था। बिरजुकुमार एक बोक्सर भी था।सब कोइ न कोइ काम मे माहिर थे। यार दोस्तो की रोज महेफिले जमती थी। जय शराब और सिगरेट नही पीता था बाकी सब के सब या तो पहले से ही आदी थे या बाद मे शुरु हो चुके थे।
एक दिन शराब और सिगरेट पर जय को सब ने बहुत जोर दिया और बहस बढ गइ। सब जय को जोर दे रहे थे और जय मना कर रहा था।
जय,”यार तुम लोग पीया करो ना मैने कभी मना किया क्या? लेकिन मुजे क्यु फोर्स कर रहे हो? जब मुजे कोइ ऐतराज नही तो तुम लोगो के पीने का तो तुम लोगो को क्या ऐतराज है मेरे नही पीने का?”
मुनिश,”लेकिन तु पीता क्यु नही है?”
जय,”अरे यार मै ब्राहमिन हु, मैने अपने जिन्दगी मे कभी शराब देखी तक नही है।“
साजन,”अबे यार ब्राहमिन तो मै भी हु, महादेव भी तो ब्राहमिन थे, उस के जैसा नशा तो शायद कोइ कर भी नही पायेगा। वो तो विष भी पी चुके है, तो हम क्या शराब नही पी सकते यार? और साले कौन सी किताब मे लीखा है एक ब्राहमिन के लिये शराब मना है?”
“तेरे से बहस करना बेकार है, तु पी, मै तुजे कहा रोक रहा हु. लेकिन मुजे नही पीनी है” जय ने हसकर बात टाल दी।
“तु रोज यही करता है, बस हाथ जोडकर माफी मांग लेता है और बुजदिल की तरह एक कोने मे खडा रह जाता है, यार एक बात बता अगर तेरी लाइफ मे शराब नही, सुन्दरी नही तो तु क्या खाक जीता है?” साजन ने हसते हुये कहा।
Udayan, ”This is totally ridiculous yar, we are enjoying and simply he is looking at us, what is this my friend?’’
“यार तुम लोग कहा से कहा बात ले जा रहे हो? If u r enjoying in drinking, believe it that I enjoy in not drinking’’जय ने दलील पेश की।
“वो तो ठीक है, लेकिन नही पीने मे तुजे क्या मजा आता है तुजे?” बिरजु ने पुछ लिया।
“तुम लोगो को पीने मे क्या मजा आता होगा, वही मजा मुजे नही पीने मे आता है” जय ने कहा।
‘’What a studpid argument yar’’ मुनिश बोला,”कुछ जवामर्द वाली बात है तो आर्ग्युमेंट करो वरना शुरु कर दो पीने का, यार हमारा दोस्त इतना ढीला हो ही नही सकता। या तो तु पीना शुरु कर दे या तो हमे ये समजा की नही पीने मे क्या रखा है?
ठीक है समजाने की कोशीश कर लेता हु, लेकिन ये तुम लोग कह रहे हो वरना मै कभी नही कुछ कहता यार” जय बोला। ”देखो मै ब्राहमिन हु, रोज सुबह मुजे मेडिटेशन, पुजा करने की आदत है। मै बीलीव करता हु की हमारे शरीर मे 33 करोड देवी-देवता का वास है। अगर मैने शराब पी तो एक तरफ मै पुजा कर के देवी-देवताओ का आहवाहन करता हु और दुसरी ओर शराब पीकर उस का अपमान करता हु। इसिलिये मेरे लिये शराब वर्ज्य है। ये तो वही हुवा की आप महेमान को अपने घर बुलाओ और फिर उसे गन्दी गन्दी गालिया देकर अपमान करो”।
“अब तु इतनी बंदगी करता ही क्यु है की दुनिया की सारी मौज एक तरफ और तेरा धर्म एक ही सब से उचा” बिरजु बीच मे बोला।
”यार खुदा की बंदगी मे वो ताकत है की शराब तो दुर की बात है, गाली बोलना भी मेरे बस मे नही है” जय ने द्रढता से कहा।
साजन इस बार ठहाका लगाते बोल पडा,”अबे ओ संत की औलाद, सुन इतनी ही ताकत है अगर तेरी बन्दगी मे तो फिर पढता ही क्यु है? वही जुनागढ मे रहकर कुछ भी कर लेता। अगर भगवान ही सबकुछ है तो फिर हाथ पैर मारने की क्या जरुरत है?”
जय,”कर्म का सिध्धांत है, गीता कहटी है...कर्मण्ये वाधिका रस्ते मा फलेशु कदाचन, यानी कर्म तेरे हाथ मे है फल नही” जय।
“साली किस गीता ने कहा है, यहा बुला अभी कर्म करता हु” साजन ने फिर हस दिया।
अब जय भी जोश मे था और उस ने साजन को चेलेन्ज दिया,”चल साजन मैने तो अपनी ओर से बता दिया की मै किस लिये नही पीता हु, लेकिन तु बता की तुजे इस मे क्या मिलता है, लीवर खराब हो रहा है, नशे की हालत मे गीर जाते हो, साथ मे दुसरो को भी तकलीफ देते हो, ऐसी क्या जन्नत है पीने मे बोल?”
“इस मे जन्नत ही जन्नत है यार, जो तु बन्दगी से पा नही सकता वो एक घुट मे मिल जाता है” सुन एक बात सुनाता हु...
एक बार एक शराबी गली से गुजर रहा था। उस गली मे आमने सामने मन्दिर-मस्जिद थे। वो शराबी ने मन्दिर के सामने देखा तो पुजारी ने हट..कहकर धुत्कार दिया, मस्जिद के सामने देखा तो मौलवी ने उसे हट...कर के धुत्कार दिया और वो शराबी बोला,”
ए खुदा के बंदो, है अगर ताकत तुम्हारी इबादत मै तो इस मन्दिर को हिला, इस मस्जिद को हिला....ए खुदा के बंदो, है अगर ताकत तुम्हारी इबादत मै तो इस मन्दिर को हिला, इस मस्जिद को हिला....वरना आ मेरे साथ दो घुट पी और सारा जहा हिलता देख”। साजन खिलखिलाता हस पडा।
और सारे दोस्तो मे खुशी की लहर उठ गइ सब ने एक दुसरे को ताली दी और साजन को नवाजा। अब जय अकेला पड गया लेकिन वो भी स्पोर्ट्समेन स्पिरिट दीखाकर कान पकडकर खडा हुवा और बोला,”तु सही है मेरे भाइ तेरे से बहस करना मेरे बस मे नही है।“
निशी,”नही जय ऐसे नही नही चलेगा तु भी इस का जवाब दे चल।“
“अरे ये कोइ कोम्पिटिशन थोडी ही है की आमने सामने इस का कोइ जवाब हो, वैसे भी मुजे कहा शायरी आती है की मै इन से पंगा लु” जय ने हाथ जोडा।
“नही यार आज तो तेरे को कुछ बोलना ही पडेगा” बिरजू ने जोर डाला इस बार।
“यार तुम लोग आज तो मेरे अकेले के पीछे ही पडे हो? टोपिक कहा से कहा चेंज हो रहा है? जय ने फिर से कहा।
“मै कहा तेरे पीछे पडा हु? तेरे पीछे पडने से क्या मिलेगा? घंटा? हा निशा के पीछे....” लेकिन साजन का ये वाक्य अधुरा ही रह गया, निशा ने एक लात उस के पैर पर लगाइ।
“ओ...ओ... मा.....यार बहुत जोर है तेरे पैरो मे, ये पैर मुजे दे दे निशा” कहकर साजन ने निशा को दबोच लिया। समय देखकर निशा ने उस से माफी मांग ली और सब हसने लगे। लेकिन टोपिक वही अटका हुवा था सब जय को जोर दे रहे थे की उसे कुछ ना कुछ तो साजन को जवाब देना ही चाहिये।
बहुत जोर डालने पर जय ने कहा,”ठीक है लेकिन कोइ भी अपने सर पर ये जोक नही लेगा तो कुछ बोलता हु”।
सब ने ताली बजायी और खुश हुये की कम से कम जय कुछ तो बोल रहा है और साजन तो जमीन पर ही बैठ गया और हाथ जोडकर जय के पैर पकडकर बोला,”बाबा जयदेव प्लीज अपनी अम्रुतवाणी का हमे प्रसाद चाहिये, सुनाइये ना प्लीज”।
जय ने कुछ पल के बाद कहा,”एक बार ऐसा हुवा की एक बडे बाप की बिगडी औलाद थी, बिल्कुल साजन जैसी”।
साजन,”अबे यार डाइरेक्ट मुज पर एटेक ?”
जय,” तु बोला था ना के सर पर नही लेगा, ये तो सिर्फ एक मिसाल दे रहा हु।“
“ठीक है आगे बोल चल” दो घुट लगाकर साजन ने सम्मती दी।
“हा तो मै कह रहा था की एक बडे बाप की बिगडी औलाद थी, बाप को बडा व्यापार था, एक फेक्टरी थी लेकिन उस का बेटा बिल्कुल बीजनेस मे इंटरेस्टेड नही था। बस पुरा दिन मोज मस्ती मे चला जाता था और बाप ने कइ बार अपने बेटे को समजाया था की अपने धन्धे मे ध्यान दे, मेरे बाद तेरे सिवा और कौन है जो बीजनेस सम्भालेगा? लेकिन बेटा कभी सुनता ही नही था। एल बार बहुत जोर डालने पर एक दिन सुबह बेटा तैयार होकर बाइक की चैन घुमाता हुवा नीचे आया और बोला,’डेडी, चलो आज मुजे फेक्टॅरी दिखाओ’ बाप तो खुश हो गया और सोचा चलो आज कम से कम फेक्टरी देखने के लिये तो राजी हुवा, आगे आगे देखा जायेगा। बाप ने तो कार सीधी फेक्टरी ले ली और बडी खुशी के साथ बेटे को फेक्टरी दिखाने लगा। फेक्टॅरी मे बडी बडी मशीने लगाइ थी तो बेटे ने पुछा ये कौन सी मशिने है डेडी?
बाप ने कहा,”बेटे हमारा मेइन बीजनेस है हम फ्रुट, वेजीटेबल्स के ज्युस निकालते है और एक्स्पोर्ट करते है। ये सब बडी बडी मशिनो मे एक तरफ से फ्रुट, वेजिटेबल्स डाला जाता है, दुसरी ओर इस के ज्युस निकलते है और कच्चा माल दुसरी ओर से नीकल जाता है। ऐसे एक एक मशिन बाप दिखा रहा था और बेटा सिर्फ देखने की खातिर देखता जा रहा था। बाप समज गया की इसे कोइ बीजनेस मे रस नही। आखिर एक बडे कमरे के पास आये और बेटे ने पुछा,” इस के अन्दर क्या है?”
बाप,”वो अभी तेरे बस की बात नही है, बाद मे देख लेना”
लेकिन बेटे ने जीद पकड ली और मजबुरन बाप ने कहा,” देख ये हमारी फेक्टॅरी की कोंफिडेंशियल बात है बाहर न जाने पाये” इतना बोलकर कमरा खुलवाया और गन्ध से बेटे ने नाक सिकुड लिया। बाप ने कहा,”यहा हम जानवरो को मशिन मे डालते है और उस का लहु और मांस दुसरी और नीकल जाता है, चमडी तीसरी ओर नीकल जाती है।“
बेटॆ ने इस बार भी कोइ ध्यान नही दिया और बस बाइक का की-चैन उछालता रहा।
फेक्टॅरी से बाहर आते आते बेटे ने पुछा,”डेडी, यहा सारी मशिने ऐसी है की कच्चा माल डालते है और ज्युस नीकलता है। कोइ ऐसी मशिन नही की हम रस डाले और माल नीकले?”
अब बाप थक चुका था वो गुस्सा होकर बोला,”बिल्कुल है ना लेकिन ऐसी मशिन घर पे है। लेकिन कोइ काम की नही क्युकी इस से तेरे जैसा निकम्मा माल निकला है।“
इतना बोलकर जय ने निशी के सामने कान पकडकर सोरी बोला और फिर चुप हो गया और सब ने ठहाके लगाते हुये जय को नवाजा और जश्न जैसा माहोल बन गया जैसे कोइ मेच जिती हो।
मुनिश,”अरे जियो मेरे शेर आखिर गाली बोल ही दी ना”
निशी भी जोर से हसकर बोल उठी,”चलो आज शुरुआत गाली से हुइ है, कल तुम जरुर आगे जाओगे।“
साजन ने तो धीरे से जय को लात लगाकर बोला,”साले ये जोक था या मेरे पे सीधा वार?”
अब जय ने जोर से हसकर कहा,”देख यार तुम लोग ही मुह मे उंगली डालकर बुलाते हो, वरना मै कहा बोलनेवाला था?”
साजन जय से लिपट गया,”नही यार तुजे हक है साले मुज पर भी कुछ बोल डाल, तुम लोग ही मेरी जिन्दगी हो, वरना इस जिन्दगी मे और रखा ही क्या है, तु आज पहली बार बोला मजा आ गया ले एक घुट भी मार ले इस के नाम पर”
“जानता हु साले, घुमकर बात फिर वही की वही तु कुछ भी आजमा ले, मै नही पीनेवाला” जय ने उसे हल्के से अलग करते हुये बोला।
“ठीक है ये सिगरेट तो पी” साजन ने ओफर किया।
जय ने फिर भी इंन्कार कर दिया।
साजन,”यार नया पुलिस आता है ना तो भाव ज्यादा खाता है तो समज लेना चाहिये की उसे कुछ और या कुछ ज्यादा चाहिये”
उदयन,” This is correct, I also think that Jay wants more’’
साजन ने निशा की ओर उंगली उठाते हुये बोला,”जय निशा को योगा अच्छा आता है, सीखना है तुजे?”
और जय की बोलती बन्ध हो गयी और कहा,”बिल्कुल नही, ये तो बिल्कुल नही चाहिये”
साजन,”क्या नही चाहिये? योगा या निशा?”
जय,”निशा, मै कभी इस की तरफ ऐसे देखता ही नही”
“मै भी इस की तरफ कहा देखता हु। जहा देखना चाहिये वही देखता हु” साजन ने आंख मार के हस दिया।
आखिर जय ने थककर कहा,”यार साजन एक बात बता, शराब और सिगरेट तो ठीक है लेकिन लडकियो मे तुजे क्या मिलता है?”
साजन ने जवाब दिया,”सुन लडकी मे ही नही दोनो मिल जाये तो प्यार की हर निशानी मौजुद होती है, अगर सही प्यार पाना हो तो एक लडके को लडकी के पास ही जाना चाहिये”
“क्या बात करता है? प्यार तो हर जगह है, इस मे खास लडकी के पास जाना क्या खाक जरुरी है?” जय ने कह दिया।
“सुन तुजे बताता हु ना की लव के कितने सिम्बोल्स मौजुद है जब एक लडकी और लडका मिल जाये तो” साजन ने हाथ पकडकर समजाया और आगे बोला,” So please always continue your love, love n love”
सब फिर से जोरो से हस दिये।
जय ने बीच मे सब को काटकर कहा,”ये तो वही बात हो गइ ना पीनेवालो को पीने का बहाना चाहिये।“
अब साजन को सर पर चढ चुकी थी और बोला,”सही है दोस्त पीनेवालो को हमेशा पीने का बहाना ही चाहिये”।
जय,”देख मै कभी बोलता नही हु लेकिन पहलीबार बोल रहा हु, इतना तो मत पी की तुजे ही भारी पड जाये”
साजन,”क्या भारी पडॆगा मुज पर? ज्यादा से ज्यादा क्या मौत होगी ना, कीसी ने सच ही कहा है की....
अगर करना ही है प्यार तो अपनी मौत से ही कर लो कयुकी दुनिया का दस्तुर है जिसे जितना चाहोगे उसे उतना ही दुर पाओगे”
निशी,”नही साजन, जय की बातो मे कुछ दम तो है, तु तो रोज इतना पीता है की ढेर हो जाता है, कभी ऐसा भी तो हो सकता है की मामुली बात हो और हम पर भारी पड जाये”
“अरे निशी, तुम भी कहा इन की बातो मी आ गयी। पहले तो ऐसा वक़्त ही कब आयेगा की मेरे साथ ऐसा हो और मान भी लो की ऐसा वक़्त आ भी गया तो भी.....
बुरे वक़्त के आगे सिकन्दर नही जुकता...
तुटे अगर सितारा तो भी जमी पर नही गीरता....
बडे शौख से मिलती है लेहरे समन्दर मे....
समन्दर कभी लहेरो मे नही मिलता.....
जियो जियो सब ने चीयर्स किये। लेकिन अब जय खामोश था। फिर सब ने जय को दबाव डाला की कुछ कहे, लेकिन अब उस ने बोलना सही नही समजा। सब ने पुछा क्यु नही बोल रहा तो उदयन ने जवाब दिया,” ‘’He simply believe to be silent more, coz Smile n silence are two important things in life. When u smile u solve many problems in seconds and when u r silent u avoid many problems. So jay pl don’t be silent, whatever may be u have to involve it’’
‘’There is no matter remaining to involve.’’जय ने हसकर फिर से टाल दिया।
और पहलीबार निशा बीच मे बोली,” ‘’Only two persons in this earth will be Extremely happy or silent, One who gets everything in love and the other who does not know what is love ?’’ ये डायरेक्ट वार था जय पर।
जय ने तुरंत नजरे उठाकर निशा के सामने देखा, निशा तिरछी निगाहो से उसे ही देख रही थी और उस ने बायी आंख मारकर जय को छेडा।
जय ने सिर्फ स्माइल देकर नजरे फिर से जुका ली।
बिरजु ये देखकर बोला,” ए जय इस का जवाब तो दे यार, ये तो मर्दो की इज्जत की बात है यार” और सब ने फिर से जय को जोर डाला।
जय बोलने को तैयार हुवा लेकिन साजन ने कहा,”जय इस का जवाब शेर या शायरी से ही देना होगा।“
निशी,”नही यार जय को कहा शायरी आती है? तु जैसे चाहे वैसे जवाब दे सकता है जय”
मुनिश,” नही जय अगर जवाब ही देना है तो शायरी मे ही देना, ये मर्दो की इज्जत का सवाल है यार”
निशी और निशा दोनो जोर से हस पडे, जय ने सीधी नजरे निशा पर इस बार रखकर उंगली उठाकर सीधा प्रहार कर दिया....
“होगी कीसी की तमन्ना सितारो को पाने की, हमारी तो चाहत है सितारा बन जाने की.......
कोइ चाहता होगा कीसी को दिल मे बसाना, हमारी तो आदत है लोगो के दिल मे बस जाने की.......”
और मुनिश खडा होकर जय से गले लग गया,”क्या बात है बाप? क्या सोलिड जवान दिया” और ग्लास उठाकर एक ही वार मे खाली कर डाला। निशा ने मुस्कुराकर तीरछी निगाहो से जय के सामने देखा। अब उस की बोलती बन्ध थी तो सब ने उस पर जोर डाला की है अगर जवाब जय का तो वो दे।
और निशा बोल उठी...
“हर सपना खुशी का पुरा नही होता, कोइ कीसी के बीना अधुरा नही होता....जो रोशन करता है सब रातो को, वो चान्द भी तो हर रात को पुरा नही होता....”
क्या बात क्या बात फिर तो शायरी और आगे बढी.....
साजन ने तो बोटल हीलाते हुये कहा....
“यारो मेहफिले ऐसे जमती है, खोलने से पहले बोटल हीलाइ जाती है....फिर आवाज लगाइ जाती है...आ जाओ तुटे दिलवालो यहा दर्द-ए-दिल की दवा पीलाइ जाती है...”
आदाब अर्ज है आदाब अर्ज है और महेफिल चल पडी थी। सब नशे मे जुम रहे थे और जय ने सिर घुमाकर जैसे बताया की ये लोग नही सुधरनेवाले।
फिर धीरे धीरे निशा ने बाकी दो घुट पुरे किये और सब से विदा ले के चली गइ। बाद मे बिरजु और मुनीश चले गये और फिर उदयन खडा हुवा और जय का हाथ पकड के ले जा रहा था तब निशी ने उसे रोक दिया उर उदयन को कहा की वो जय की मदद से साजन को कमरे तक पहुचाने के बाद वापस आ जायेगा। उदयन भी चला गया। साजन वही पुरे नशे मे बैठा था और निशी ने जय की मदद से उसे खडा किया और दोनो साजन को उस के कमरे तक ले गये। साजन का कमरा ग्राउंड फ्लोर पर एक कोने मे था। उसे बेड पर सुलाने के बाद दोनो रुम से बाहर आये और निशी ने कहा,”ओके जय गुड नाइट कल मिलते है।“
“ठेहरो निशी, अगर बुरा न मानो तो एक बात पुछु?” जय ने कहा।
“अरे बिल्कुल ये कोइ पुछने की बात है?” निशी ने कहा,”बोलो क्या पुछना है?”
“निशी, तुम शराब पीती हो, सिगरेट पीती हो, लगता है खुशी के लिये पीती हो, लेकिन वास्तव मे ऐसा है नही। मै जान ना चाहता हु की ऐसी कौन सी बात है की जिसे भुलाने के लिये तु ये सब करती हो? जय ने आखिर पुछ ही लिया।
‘’This is none of yr business Jay pl don’t mind, कुछ बाते ऐसी होती है जिसे शेयर नही किया जाता। ज़हर खाने की मेहफिल नही होती। इसे अकेला ही पिया जा सकता है।“ निशी का रुख सीरीयस हो गया, उस की आंखे तेज हो चुकी थी, बोलने मे कटुता आ चुकी थी, आंसे तेज फुली हुयी और होठ सख्ती मे बीड चुके थे।
जय दो कदम चलकर उस के बिल्कुल करीब आया की तुरंत नीशी दो कदम पीछे हटॅकर उंगली बताकर बोली,”जय स्टोप इट, मै जानती हु तुम वो जादुगर हो जो किसी के दिल को टटोलकर मोती ढुंढ लेते हो, मै तुजे कब से पहेचान चुकी हु। लेकिन मुजे किसी की मदद, दया या फीलींग्स नही चाहिये, ये बात वो बात है जो मुजे जीने का मक्सद देती है। इसिलिये प्लीज दुबारा कभी इस का जिक्र मत करना, तुजे दोस्ती का वास्ता” इतना कहकर नीशी चेहरा घुमाकर तेज कदमो से अपने होस्टेल की ओर चल दी।
जय इस जिद्दी लडकी को देखता ही रह गया और फिर हल्के से मुस्कुराया और अपने मन मे ही बोला,”उसी दोस्ती का वास्ता नीशी, अगर तेरे मुह से नही बुलवाया तो मेरा जीना बेकार है।“
लेकिन जय को कहा पता था की कुछ ही दिनो मे उस की ज़िन्दगी मे भी भौकाल आनेवाला है। क्या और कौन जाने कहा?????......
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Sandhya Prakash
03-Feb-2022 02:02 PM
Bahut achchi kahani likhi hai, kahani me ab nye carector ki entry ho gyi. Ye Nishi Sen kahin advocate ki beti to nhi h.. unka bhi naam mister Sen tha. Kahani me sare carector interconnecte hote hi h may be aisa ho sakta h. Eagerly awaiting
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PHOENIX
03-Feb-2022 04:39 PM
धन्यवाद आप का। जी नये केरेक्टॅर्स ही एंट्री हुइ है और आगे आगे और 10-15 केरेक्टॅर्स शामिल होनेवाले है। बने रहिये इस कहानी पर। कोशिश करुंगा दो अपडेट के बीच ज्यादा अंतर ना हो ता की कहानी पर लिंक बनी रहे।
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सिया पंडित
03-Feb-2022 11:57 AM
Bahut achcha likhte h aap sir, very intresting kahani..., Waiting for next
Reply
PHOENIX
03-Feb-2022 04:33 PM
धन्यवाद आप का। कोशिश जरुर करता हु अगले पार्ट जल्दी देने का।
Reply
🤫
03-Feb-2022 11:07 AM
बहुत बढ़िया कहानी, क्या दोस्ती है, जय का अतीत तो काफी गजब ही है। लेकिन ये किशोरीलाल शायद उसी पल गायब हो गया जब वो उदयपुर के लिए निकला था। विक्रम आजाद हो गया था और बंसी के साथ कांड हुआ, जरूर इन सब का कनेक्शन जय से है। देखते हैं अतीत की परते कब सुलझेगी, लेकिन अभी तो दोस्तो की शेरो शायरी की महफिल चल रही है। निशी सेन बहुत कुछ छुपाए है ऐसा लग रहा है कहानी और रोचक होती जा रही है। अगले भाग के इंतजार में।
Reply
PHOENIX
03-Feb-2022 11:24 AM
ये बंसी मे से बिरजु कैसे हो गया ????
Reply
🤫
03-Feb-2022 11:38 AM
Ab itne dino me part laoge to yahi hoga...
Reply
PHOENIX
03-Feb-2022 04:44 PM
सोरी सोरी।🙏🙏 ये अपडेट शायद मैंने अपने पुनर्जन्म के बाद पोस्ट किया है।🙆🤷
Reply
Pamela
03-Feb-2022 05:19 PM
Aur nahi to kya... Kahani yad rah gayi aapko 🙄🙄🤣🤣
Reply
🤫
03-Feb-2022 05:32 PM
Hahah, sahi h bhaiya fir ham jakar agle janm me padhenge... Bhaiya okay🤔🤔🤔
Reply
🤫
03-Feb-2022 05:32 PM
Wo hamare liye tha pamela ma'am...
Reply